योग से तन, मन और आत्मा को निर्मल और स्वस्थ किया जाता है। जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होना है तो आपको फिट रहना जरूरी है। भागदौड़ भरी जीवन शैली के चलते कई तरह के रोग और शोक तो जन्म लेते ही है साथ ही व्यक्ति जीवन के बहुत से मोर्चों पर असफल हो जाता है। ऐसे में यदि आपने यहां बताए योग के 10 उपाय अपना लिए तो दिल और दिमाग सही हो जाएगा और आप अपने जीवन में सुख, शांति, निरोगी काया, मानसिक दृढ़ता और सफलता प्राप्त कर लेंगे।
1.अंग-संचालन-
बहुत से लोग कहते हैं कि हमारे पास योग करने का समय नहीं उन लोगों के लिए है अंग-संचालन या सूक्ष्म व्यायाम। इसे आसनों की शुरुआत के पूर्व किया जाता है। इससे शरीर आसन करने लायक तैयार हो जाता है। सूक्ष्म व्यायाम के अंतर्गत नेत्र, गर्दन, कंधे, हाथ-पैरों की एड़ी-पंजे, घुटने, नितंब-कुल्हों आदि सभी की बेहतर वर्जिश होती है।
2.प्राणायाम-
हमारे शरीर में खाना पचाने और शरीर को स्वस्थ रखने का कार्य श्वास से आ जा रही हवा करती है। इसे प्राणवायु कहते हैं। हवा निकल गई तो समझो मृत्यु हो गई। हवा ही जिंदगी है, अन्न और जल प्राथमिक नहीं है। इसीलिए इस प्राण को स्वस्थ रखना जरूरी है। इसके लिए आप अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते रहेंगे तो यह एक तरह से आपके भीतर के अंगों और सूक्ष्म नाड़ियों को शुद्ध-पुष्ट कर देगा।
3.मालिश-
बदन की घर्षण, दंडन, थपकी, कंपन और संधि प्रसारण के तरीके से मालिश कराएं। इससे मांस-पेशियां पुष्ट होती हैं। रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है। इससे तनाव, अवसाद भी दूर होता है। शरीर कांतिमय बनता है और मन प्रसन्न हो जाता है।
4.व्रत-
जीवन में व्रत का होना जरूरी है। व्रत ही संयम, संकल्प और तप है। इससे शरीर में जमा गंदगी बाहर निकल जाती है। यदि आप सप्ताह में एक बार पूर्ण व्रत नहीं रखते हैं तो निश्चित ही आप शरीर के साथ अन्याय कर रहे हैं। भोजन समय पर खाएं और क्या खा रहे हैं यह जरूर देखें। यह भी देखना जरूरी है कि किस मात्रा में खा रहे हैं। योग में संयमित आहर-विहार की चर्चा की गई है।
5.योग हस्त मुद्राएं-
योग की हस्त मुद्राओं को करने में ज्यादा समय नहीं लगाता। बस एक बार सीखने की जरूरत है। इसे आप कहीं भी कभी भी कर सकते हैं। इससे जहां निरोगी काया पायी जा सकती हैं वहीं यह मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखती है। हस्तमुद्राओं को अच्छे से जानकर नियमित करें तो लाभ मिलेगा।
6.ईश्वर प्राणिधान-
एकेश्वरवादी होने या किसी एक ही देवता को अपना ईष्ट बनाने से चित्त संकल्पवान, धारणा सम्पन्न तथा निर्भिक होने लगता है। यह जीवन की सफलता हेतु अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति ग्रह-नक्षत्र, असंख्य देवी-देवता, तंत्र-मंत्र और तरह-तरह के अंधविश्वासों पर विश्वास करता है, उसका संपूर्ण जीवन भ्रम, भटकाव और विरोधाभासों में ही बीत जाता है। इससे निर्णयहीनता का जन्म होता है। जिस व्यक्ति में समय पर निर्णय लेने की क्षमता नहीं है वह जिंदगी में कभी तरक्की नहीं कर पाता।